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आजादी के बाद के पांच बड़े युद्धों की कहानी , जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए हो गई दर्ज
सचिन मुखी, August 15, 2024BHARAT-PAKISTAN WAR; चाहें 1947 हो, 1965 हो 1971 या 1999 हो हर बार पाकिस्तान ने भारत के पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की है। हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी है। भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्ध हो चुके हैं। कभी भारत का हिस्सा रहा पाकिस्तान बार-बार देश में घुसपैठ की कोशिश करता है। जो युद्ध का कारण बनता है। 1947 में अंग्रेजों के द्वारा भारत का विभाजन किए जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा तनातनी रहती है। इससे पहले एकीकृत विशाल भारत का हिस्सा रहे दोनों देशों के बीच पहला युद्ध 1947 में ही लड़ा गया था। इस प्रथम युद्ध को कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है।
बता दें कि, इस युद्ध की शुरुआत अक्टूबर 1947 को हुई थी। युद्ध का नतीजा ये निकला कि जम्मू-कश्मीर का हिस्सा भारत में विलय हुआ। वहीं पाकिस्तान को भी इसी बात का डर था कि महाराजा हरि सिंह भारत में शामिल हो जाएंगे। बता दें कि अंग्रेजों द्वारा किये गये विभाजन के बाद ही रियासतों को तीन विकल्प दिये गये थे। पहला भारत में शामिल होना या पाकिस्तान में शामिल हो जाओ या फिर स्वतंत्र रहो। वहीं जम्मू-कश्मीर में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी थी और बड़ी संख्या में हिंदू भी थे। लेकिन कबायली इस्लामी सेनाएं मिलीं और पाकिस्तान की सेना में शामिल हो गईं। और रियासत के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया। इससे महाराजा हरि सिंह के पास भारत में शामिल होने और सैन्य सहायता प्राप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाया गया था। जिसके बाद 22 अप्रैल, 1948 को प्रस्ताव 47 पारित हुआ था। उसी दिन नियंत्रण रेखा का जन्म हुआ था। 1 जनवरी, 1949 को 23:59 बजे युद्धविराम की घोषणा की गई थी। भारत के पास जम्मू और कश्मीर के दो-तिहाई हिस्से पर नियंत्रण था। जबकि पाकिस्तान ने गिलगित बाल्टिस्तान और आजाद कश्मीर पर कब्जा कर लिया था। भारत इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहता है।
1962 में जब भारत ने ड्रैगन को धूल चटाई
भारत की आजादी के समय भारत और चीन के रिश्ते उतने कड़वे नहीं थे। जितने 1962 के बाद से हैं। क्योंकि, उस समय अमेरिका ने पाकिस्तान का पक्ष लिया था। इसलिए भारत ने अपने पड़ोसी चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखने में ही भलाई समझी थी। यही कारण है कि जब चीन तिब्बत पर आक्रमण कर रहा था तो भारत ने उसका कड़ा विरोध नहीं किया। जिसके बाद चीन के साथ भारत के रिश्ते तब खराब होने लगे थे। जब 1959 में भारत ने आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को शरण दी थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पंचशील समझौते के माध्यम से दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाने की कोशिश भी की थी। लेकिन वह सफल नहीं हुए और दोनों देशों के बीच 1962 का युद्ध हो हुआ था। जिसमें भारत ने ड्रैगन को धूल चटाई थी।
1965 के तीसरे युद्ध में भारत ने दिया करारा जबाव
इसमें 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की यादें थीं। जिसने शायद पाकिस्तान को इस हद तक परेशान कर दिया था कि उसने फिर से कश्मीर में घुसपैठ करने की कोशिश की। युद्ध पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर के बाद शुरू हुआ था। जहां पड़ोसी देशों की सेनाओं ने भारत सरकार शासित क्षेत्रों में घुसने और विद्रोह भड़काने की कोशिश की थी। भारत ने उसी समय पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ पूरे पैमाने पर सैन्य प्रतिक्रिया शुरू कर दी थी। युद्ध 17 दिनों तक लड़ा गया और दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गए और घायल भी हुए। यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े टैंकों का भी गवाह माना जाता है। इसमें सोवियत संघ और अमेरिका को हस्तक्षेप करना पड़ा और युद्धविराम की घोषणा कर दी गयी। इस युद्ध में भारत का पलड़ा भारी था, क्योंकि पाकिस्तान ने विद्रोह कराया था
1971 में भारत ने पाकिस्तान को खदेड़ा
बांग्लादेश पहले पूर्वी पाकिस्तान था। यह संकट शेख मुजीबुर रहमान और याह्या खान तथा जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच राजनीतिक लड़ाई के कारण पैदा हुआ था। इसके बाद पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच युद्ध की घोषणा हो गई थी। वहीं बांग्लादेश भी पाकिस्तान से आजादी चाहता था। इसके बाद ऑपरेशन सर्चलाइट भी चलाया गया था। बांग्लादेश के अत्याचारों के बाद लगभग 10 मिलियन बंगाली भारत वापस आ गए थे। और शरणार्थी के रूप में हमेशा के लिए भारत में बस गए। इसके बाद भारत ने बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में हस्तक्षेप किया था। और पाकिस्तान ने भारत पर एहतियाती हमला करने की गलती की। यही वह समय था, जब भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से युद्ध शुरू हो हुआ था। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की करीब 15000 वर्ग किलोमीटर तक की जमीन पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान के कश्मीर, पाकिस्तानी पंजाब और सिंध क्षेत्रों में प्राप्त यह भूमि बाद में शिमला समझौते में पाकिस्तान को वापस उपहार में दे दी गई थी। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया और बांग्लादेश राज्य का जन्म हुआ था। इस युद्ध में पाकिस्तान से 90,000 से अधिक युद्ध बंदी बनाये गए थे। जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी संख्या है।
1999 में पाकिस्तान को मिला घुसपैठ का जबाव
कारगिल की लड़ाई, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम ही कारगिल की लड़ाई है। जिसे दुनियाभर में ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। इस लड़ाई की जीत के उपलक्ष्य में भारत 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाता है। बता दें कि पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने LoC करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। हालांकि इंडियन आर्मी के बहादुर जवानों ने न सिर्फ पाकिस्तान को इस लड़ाई में धूल चटाई। बल्कि शौर्य की एक ऐसी मिसाल पेश की जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई। इस लड़ाई की शुरुआत 3 मई 1999 को ही हो गई थी। जब पाकिस्तान ने कारगिल की ऊंची पहाडि़यों पर 5 हजार से भी ज्यादा सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। भारत सरकार को जब घुसपैठ की जानकारी मिली, तब पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया गया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि इस लड़ाई में लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं। लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध में शामिल थी। 8 मई 1999 को पाकिस्तान की 6 नॉर्दर्न लाइट इंफैंट्री के कैप्टन इफ्तेखार और लांस हवलदार अब्दुल हकीम 12 सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर कब्जा जमाए बैठे हुए थे। उन्होंने देखा कि कुछ भारतीय चरवाहे कुछ दूरी पर अपने मवेशियों को चरा रहे थे। वहीं पाकिस्तानी सैनिकों ने आपस में इन चरवाहों को बंदी बनाने को लेकर चर्चा की। लेकिन जब उन्हें लगा कि ऐसा करने की सूरत में चरवाहे उनका राशन खा जाएंगे, तो उन्होंने उन्हें वहां से जाने दिया। कुछ देरा बाद ये चरवाहे भारतीय सेना के 6-7 जवानों के साथ वहां वापस लौटे, तो पाकिस्तान के नापाक इरादों की पोल खुल गई। कारगिल की लड़ाई शुरू में भारत के लिए काफी मुश्किल साबित हो रही थी। लेकिन बोफोर्स और एयर फोर्स की एंट्री ने पूरी तस्वीर ही बदल दी थी। बोफोर्स तोपों के हमले तो इतने भयानक और सटीक थे कि उन्होंने पाकिस्तानी चौकियों को पूरी तरह तबाह कर दिया था। पाकिस्तानी सैनिक बिना किसी रसद के लड़ रहे थे और भारतीय सैनिकों की दिलेरी के आगे उनकी एक नहीं चली थी।
आजादी के बाद के वो पांच बड़े युद्ध
पहला युद्ध भारत-पाकिस्तान 1947-48 441 दिन
दूसरा युद्ध भारत-चीन 1962 32 दिन
तीसरा युद्ध भारत-पाकिस्तान 1965 50 दिन
चौथा युद्ध भारत-पाकिस्तान 1971 13 दिन
पांचवां युद्ध भारत-पाकिस्तान 1999 85 दिन कारगिल