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इस घड़ी में राखी बांधने से रावण का हो गया था विनाश, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे वही गलती ... जानिए पूरी कहानी

RAKSHABANDHAN; रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे देश में बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा अकेला पर्व है। जो भाई बहन के रिश्ते को मजबूत कर करता है। इस खास दिन पर बहनें अपने भाईयों को राखी बंधती हैं। राखी सिर्फ राखी नहीं होती है, इसमें बहनें अपने भाईयों की कलाई पर स्नेह और प्रेम का सूत्र बांधती हैं। और उनकी दीर्घ आयु की कामना करती हैं। वहीं इसके साथ ही भाई अपनी बहन की हमेशा रक्षा करने का वचन देता है। सनातन धर्म में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व की यही विशेषता है कि, सभी भाई बहनों में प्रेम बढ़े और हर बहन को भाई सम्मान करे। यह त्यौहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार 19 अगस्त दिन सोमवार 2024 को मनाया जाएगा। 

ज्योतिषियों के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहने वाला है। जो राखी बांधने के लिए अशुभ घड़ी मानी जाती है। वहीं रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि इस बार 19 अगस्त की सुबह 3 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी। लेकिन तिथि का समापन 19 अगस्त की रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा।

राखी बांधने का शुभमहुर्त

ज्योतिषियों के अनुसार राखी बाधने का शुभमहुर्त दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस शुभमहुर्त में बहनें अपने भाईयों को राखी बांध सकती हैं। इसमें आपको कुल 2 घंटे 37 मिनट का समय शुभ समय मिलेगा। अगर आप किसी कारणवश इस खास महुर्त में राखी नहीं बांध पाए हैं तो घवराने की बात नहीं है। इसके अलावा भी आप शाम के समय प्रदोष काल में भी बहनें अपने भाईयों को राखी बांध सकती हैं।

रावण का हो गया विनाश

भद्राकाल में काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए । इसको पीछे एक पौराणिक कथा भी चलती है। माना जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी थी। जिसका ठीक एक साल बाद सर्वनाश हो गया था। जहां तक कि उसकी सौने की लंका भी राख में मिल गई थी। जबकि रावण बहुत विद्वान और बलशाली पंडित तो था ही इसके बावजूद वह समस्त भूमंडल के रचेता देवो के देव महादेव का परम भक्त भी था। लेकिन भद्राकाल ने अपना असर दिखाया और रावण का विनाश हो गया।  

ब्रह्मा ने दिया था श्राप

ऐसा माना जाता है कि भद्रा भगवान शनि देव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी ने श्राप दिया था। श्राप देने के पीछे एक कहानी चलती है जिसमें बताया जाता है कि भद्रा स्वभाव से बहुत कठोर और उद्दंडी थी। उनकी हरकतों से तंग आकर ब्रह्मा जी ने श्राप दे दिया था। जो भी भद्राकाल में शुभ या अशुभ कार्य करेगा। उसका कोई भी कार्य सफल नहीं होगा। जहां तकि विनाश हो जाएगा। इसलिए भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। 

राखी बांधने से पहले करें ये काम

राखी बांधने से पहले बहन और भाई दोनों को उपवास रखना चाहिए। एक थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें, घी का एक दीपक भी रखें। इसके बाद सबसे पहले भगवान को रक्षासूत्र और पूजा का थाल समर्पित करें। इसके बाद अपने भाई को पूर्व और उत्तर की तरफ मुह करके बैठाएं। जिसके बाद भाई को रोली का तिलक लगाएं और रक्षासूत्र बांधें। इसके बाद आरती उतार कर भाई का मिठाई से मुह मीठा कराएं। भगवान से मंगलकामनाओं की प्रर्थना करें।